RBI Monetary Policy: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखा। आम लोगों के लिए EMI में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन बैंकिंग सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है जिसे त्योहारी सीज़न का “गिफ्ट” कहा जा रहा है।
क्या है नया प्रावधान – Expected Loss मॉडल
RBI ने बैंकों को मौजूदा Incurred Loss (हो चुकी हानि) मॉडल की जगह Expected Loss (उम्मीदित हानि) मॉडल अपनाने की अनुमति दी है। यह नियम 1 अप्रैल 2027 से लागू होगा। इस बदलाव का मतलब है कि बैंक अब भविष्य में संभावित लोन डिफॉल्ट्स को पहले से ध्यान में रखकर प्रावधान कर सकेंगे।
बैंकों को कैसे होगा फायदा
नए प्रावधान से बैंकों की वित्तीय सेहत और मजबूत होगी क्योंकि उन्हें नुकसान का इंतजार करने की बजाय पहले ही जोखिम का आकलन करने का मौका मिलेगा। त्योहारी सीज़न में लोन की डिमांड बढ़ती है, ऐसे में यह राहत बैंकों को आसानी से कर्ज वितरण करने और क्रेडिट ग्रोथ बढ़ाने में मदद करेगी। बड़े निजी बैंकों के लिए यह और भी लाभकारी होगा क्योंकि वे पहले से ही पूंजी की मजबूत स्थिति में हैं।
ग्राहकों पर क्या असर होगा
हालांकि यह बदलाव सीधे तौर पर आम ग्राहकों की EMI या लोन दरों पर असर नहीं डालेगा, लेकिन लंबे समय में इससे बैंकों की स्थिरता बढ़ेगी और क्रेडिट की उपलब्धता आसान हो सकती है। यानी यह फिलहाल बैंकों के लिए “गिफ्ट” है, लेकिन भविष्य में इसका फायदा उधार लेने वालों को भी मिल सकता है।
Conclusion: RBI का यह निर्णय बैंकिंग सिस्टम को ज्यादा सुरक्षित और भविष्य-उन्मुख बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इसे नवरात्रि गिफ्ट कहा जा सकता है, लेकिन यह गिफ्ट अभी केवल बैंकों के लिए है। आम जनता को इसका असर लोन दरों और EMI में कुछ समय बाद देखने को मिलेगा।
Disclaimer: यह जानकारी RBI की मौद्रिक नीति और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। ब्याज दरों और बैंकिंग नियमों पर अंतिम निर्णय के लिए RBI की आधिकारिक गाइडलाइन देखें।